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हमारी विरासत, हमारा गौरव - आईकेएस पारंपरिक वास्तुकला प्रतियोगिता

किसी राष्ट्र, समुदाय या समूह का परिचय उसके पूर्व आदर्शों एवं ...
किसी राष्ट्र, समुदाय या समूह का परिचय उसके पूर्व आदर्शों एवं परम्पराओं के माध्यम से आकार ग्रहण करता हुआ उस राष्ट्र की ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत में ही अपनी अभिव्यक्ति पाता है। किसी भूमि की परम्परागत संस्कृति, भाषा एवं संगीत जैसे अमूर्त पक्षों के साथ-साथ भवन, स्मारक, पुरातात्विक स्थल, भोजन, परिधान एवं कला जैसे अधिकांश मूर्त पक्षों को भी समाहित करती है। जिनका संरक्षण इनकी भौतिक संरचनाओं की रक्षा एवं अनुरक्षण के प्रयासों पर निर्भर करता है। इतना ही नहीं, जागरूकता उत्पन्न करना एवं इस ऐतिहासिक स्थापत्य के सम्बन्ध में ज्ञान प्रदान करना भी इनके संरक्षण के प्रयासों का ही एक भाग है, जिससे कि आगामी पीढ़ियां उनकी सराहना कर सकें एवं अपने गौरवशाली इतिहास की उत्तराधिकारी बन सकें।
शिक्षा मंत्रालय के एआईसीटीई स्थित भारतीय ज्ञान परम्परा (आईकेएस) प्रभाग द्वारा आयोजित की जा रही स्थानीय पारंपरिक वास्तुकला प्रतियोगिता, आपके लिए अल्प ज्ञात अथवा प्रसिद्ध स्थानीय पारंपरिक स्थापत्य संरचनाओं को प्रदर्शित करने का एक अद्भुत अवसर है जहाँ आप रहते हैं।
हमें बताएं कि आपके गांव/नगर/पुरी की सर्वाधिक पुरानी संरचना कौन सी है? पारंपरिक संरचना के निकट एक ऐतिहासिक छायाचित्र लें जो इसकी विशेषता को प्रकट करता हो। दिए गए दिशा निर्देशों के अनुरूप इसे एक संक्षिप्त विवरण के साथ हमें प्रेषित करें।
यह प्रतियोगिता कक्षा 6 से 12 तक के स्कूली बच्चों के लिए है।
आवश्यकताएं
1)न्यूनतम रिज़ॉल्यूशन 300 डीपीआई एवं न्यूनतम आकार 2 एमबी के फोटो|
2)संलग्न व्याख्या (न्यूनतम 200 शब्द- अधिकतम 500 शब्द) स्व-परिचय के साथ प्रारम्भ होना चाहिए। आपने इस संरचना को क्यों चुना, इस विषय पर कुछ शब्द लिखने के उपरांत, यह संरचना कहां पाई जा सकती है, इसका निर्माण किसने किया, इसे किस उद्देश्य से बनाया गया एवं वर्तमान में इसका उपयोग किस प्रकार किया जा रहा है, कृपया इसका संक्षिप्त विवरण दें ।
प्रविष्टियां जमा करने की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2022 है|
नियम एवं शर्तें देखने के लिये यहाँ क्लिक करें (PDF-134KB)