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Last Date Dec 31,2021 23:45 PM IST (GMT +5.30 Hrs)
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भारत के आर्थिक विकास का रोडमैप स्वतंत्रता के बाद से अनन्य रहा है. उस समय, भारत की आधी आबादी यानी महिलाओं का मुख्यधारा में कोई विशेष स्थान नहीं था. इसका सीधा मतलब यह था कि ‘सोने की चिड़िया’ कहे जाने वाला देश सिर्फ एक पंख के साथ ही विकसित होने का सपना देख रहा था, लेकिन एक खंडित पंख के साथ कोई ज्यादा नहीं उड़ सकता था और भारत उसी का उदाहरण है.
किसी भी राष्ट्र की सशक्त बुनियाद कुशल शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था ही बनाती है. देश के विकास में मानव संसाधन अपना सर्वोच्च योगदान तभी दे सकते हैं जब वे स्वयं को स्वस्थ एवं प्रभावी समझेंगे. दुर्भाग्य से आजादी के बाद से जितनी भी सरकारें आई, उन्होंने इन दोनों ही प्रमुख क्षेत्रों में बजट आवंटित करने में बेहद कंजूसी दिखाई. संभवतः उन्होंने इसे निवेश की जगह व्यय मान लिया. इसके फलस्वरूप आज भारत की प्राथमिक शिक्षा और चिकित्सा दोनों ही खस्ताहाल हैं. 21वीं सदी नवपरिवर्तन, स्वचालन और उन्नयन की सदी है. दक्षिण
आज उद्योगों द्वारा फैलाए जा रहे कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम स्तर पर लाना आवश्यक है एवं इस मुद्दे को वैश्विक स्तर पर सभी देशों के बीच उठाना भी आवश्यक है। सभी देशों को मिलकर इस कार्य में योगदान देना होगा। भारत भी जीवाश्म ईंधन के उपयोग को कम से कम करने हेतु प्रयास कर रहा है। ग़ैर-जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के स्त्रोतों को अधिक से अधिक उपयोग करने हेतु गम्भीर प्रयास भारत में किए जा रहे हैं। जैसे सौर ऊर्जा के उपयोग पर भारत सरकार ध्यान दे रही है। कोयले का ईंधन के रूप में उपयोग कम से कम करने के प्रयास भी हो रहे
आर्थिक विकास तो पर्यावरण के सहारे ही हो सकता है क्योंकि जो भी चीज़ कल कारख़ानों में बनती हैं वह पर्यावरण से लिए गए तत्वों से ही बनती है। अतः ये तो हमारे ख़ुद के हित में ही है कि हम ख़ुद पर्यावरण की रक्षा करें और इसका दोहन समझ बूझकर करें। पर्यावरण और आर्थिक विकास अलग अलग नहीं किए जा सकते। अगर पर्यावरण स्वस्थ रहेगा तो ही आर्थिक विकास आगे बढ़ाया जा सकेगा। और फिर ग़रीबी, भुखमरी कम करने सम्बंधी लक्ष्यों को भी प्राप्त किया जा सकता है।
किसी भी देश में आर्थिक विकास और पर्यावरण में द्वन्द काफ़ी लम्बे समय से चला आ रहा है। तेज़ गति से हो रहे आर्थिक विकास से पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव अक्सर देखा गया है। विश्व में हो रहे जलवायु परिवर्तन के पीछे भी कुछ देशों द्वारा अंधाधुँध रूप से किए जा रहे आर्थिक विकास को ज़िम्मेदार माना जा रहा है। अतः आज विश्व में यह मंथन चल रहा है कि पर्यावरण को नुक़सान पहुँचाये बिना किस प्रकार देश में सतत आर्थिक विकास किया जाय और इसके लिए कैसे विश्व के सभी देशों को एक मंच पर लाया जाय। दरअसल आज जलवायु परिवर्तन, पा
ये साफ दर्शाते हैं कि भारत को एक विकासशील अर्थव्यवस्था के रूप में माना जा सकता है, लेकिन वह निश्चित रूप से एक अल्प-विकसित राष्ट्र है. भारत महात्मा गांधी की 150वीं वर्षगांठ को गर्मजोशी से मना रहा है. उन्होंने स्वतंत्रता के दौर में ही राष्ट्र के विकास के लक्ष्य और साधन दोनों की पवित्रता की वकालत की थी. लेकिन, राष्ट्र के प्रति राष्ट्रपिता का सपना आज भी अधूरा है. आधुनिक भारत के लिए जनसांख्यिकी लाभांश के अतिरिक्त लाभ के साथ कई अनपेक्षित अवसर भी हैं. यदि इनका उचित प्रयोग किया जाता है, तो शक नहीं कि भा
देश महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मना रहा है. गांधी जी ने आधुनिक भारत की नींव दशकों पहले ही रख दी थी. आजादी के बाद से ही भारत का विकास का दर्शन बहुत ही अनूठा, एकतरफा और सर्वसम्मत रहा है. कारण है कि इसमें 130 करोड़ कुशल आबादी का खजाना है, जो राष्ट्र की समृद्धि को बढ़ाने के लिए निरंतर ऊर्जावान प्रयास कर रही है.
आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपको साष्टांग प्रणाम
हमारे भारत में कई नए प्रयोग एवं परिवर्तन हुए हैं इसके तहत मेरा नया आइडिया है
हमारे देश में कई मल्टीनेशनल मैसेजिंग platforms काम कर रहे हैं परंतु इन सब पर प्राइवेसी एवं सूत सूचनाओं का नियंत्रण विदेशी कंपनियों के हाथ में हैं परंतु यदि हम एक ऐसा प्लेटफार्म प्यार करें जो लगभग व्हाट्सएप की तरह हो परंतु उसके नियंत्रण पूर्ण रूप से भारत सरकार पर हो तो यह हमारे देश की सुरक्षा एवं प्राइवेसी के लिए अच्छा होगा । आगे का दूसरे कमेंट में है
my gov is best digital platform is student like bachlor and who became administrative service this platform arer help her for higher education